सत्यनारायण पूजा

पूजा विधि - सत्यनारायण पूजा

सत्यनारायण पूजा भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों में से एक मानी जाती है और इसे उद्यापन के लिए आयोजित किया जाता है। यह पूजा भगवान के आशीर्वाद, संपन्नता और सुख के लिए की जाती है। नीचे दी गई है सत्यनारायण पूजा की एक सामान्य विधि:

 

समग्री:

 

1.      सत्यनारायण भगवान की मूर्ति या फोटो

2.      पूजा की थाली

3.      अचार (मूंगफली अचार, चटनी आदि)

4.      फल (बनाना, सेब, नारियल आदि)

5.      पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शर्करा)

6.      पंचमेवा (खजूर, किशमिश, मुनक्का, खरबूजा, तालमखाना)

7.      पूजन सामग्री (रोली, चावल, कलश, धूप, दीप, अगरबत्ती, पुष्प, पूजा बत्ती, धान, गंगा जल, कपूर, कलश, चम्पा फूल, तुलसी पत्ता)

8.      पूजा पाठ की किताब या मंत्र पाठ सारांश

 

 

विधि:

 

1.      सबसे पहले, एक पवित्र स्थान चुनें जहां पूजा की जाएगी। पूजा स्थल को सफाई करें और उसे सजाएं।

2.      थाली पर पूजा सामग्री रखें और अपने पूजा स्थल को सजाएं।

3.      सत्यनारायण भगवान की मूर्ति या फोटो को पूजा स्थल पर रखें।

4.      अचार, फल, पंचामृत, पंचमेवा को पूजा थाली पर रखें।

5.      पूजा शुरू करने से पहले अपने आसन पर बैठें और मन्त्र पाठ सारांश करें जैसे " नमो भगवते वासुदेवाय" या "श्री सत्यनारायणाय नमः"

6.      पूजा के दौरान मंत्रों के साथ सत्यनारायण कथा का पाठ करें। कथा पढ़ने के बाद, सत्यनारायण भगवान के सामर्पण के लिए अपनी प्रार्थना करें।

7.      अर्चना के बाद, प्रसाद बांटें और सभी प्रशाद ले लें।

 

यह एक सामान्य विधि है और आप इसे अपनी आवश्यकताओं और परंपराओं के अनुसार समायोजित कर सकते हैं। ध्यान दें कि कथा, मंत्र और पूजा की सामग्री भी भाषा और क्षेत्र के अनुसार अलग-थलग हो सकती हैं।



पूजा सामग्री - सत्यनारायण पूजा

सत्यनारायण पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

 

1.      सत्यनारायण भगवान की मूर्ति या फोटो

2.      पूजा की थाली

3.      अचार (मूंगफली अचार, चटनी, अमला आदि)

4.      फल (बनाना, सेब, नारियल आदि)

5.      पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर)

6.      पंचमेवा (खजूर, किशमिश, मुनक्का, खरबूजा, तालमखाना)

7.      पूजन सामग्री (रोली, चावल, कलश, धूप, दीप, अगरबत्ती, पुष्प, पूजा बत्ती, धान, गंगा जल, कपूर, कलश, चम्पा फूल, तुलसी पत्ता)

8.      पूजा पाठ की किताब या मंत्र पाठ सारांश

यह सामग्री आपको सत्यनारायण पूजा के दौरान उपयोग करने के लिए आवश्यक होती है। आप इसे अपनी आवश्यकताओं और परंपराओं के अनुसार बदल सकते हैं।



पूजा कथा - सत्यनारायण पूजा

एक समय की बात है, एक गांव में एक ब्राह्मण थे जिनके पास बहुत सम्पत्ति थी, लेकिन वे खुश नहीं थे क्योंकि उनके बच्चे स्वस्थ्य नहीं रहते थे और उनकी आर्थिक स्थिति भी बिगड़ रही थी। इसलिए, उन्होंने एक पंडित को संपर्क किया और उन्हें सत्यनारायण पूजा करने के लिए आमंत्रित किया।

 

पंडित ने पूजा की तिथि तय की और ब्राह्मण ने अपने घर में सत्यनारायण पूजा की आयोजन की। पूजा के दौरान, ब्राह्मण ने व्रत का पालन किया और भगवान की आराधना की। वे भगवान के समर्पण के साथ एक कथा सुनाने लगे।

 

कथा कहती है कि एक समय की बात है, एक ब्राह्मण व्रत के दौरान गलती से गाड़ी चोरों की जबरदस्ती में अपनी गाड़ी चोरी हो गई। जब वे चोरों के पास पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि चोरों ने उनकी गाड़ी को छोड़ दिया था और वे दौड़कर भाग रहे थे। ब्राह्मण ने गाड़ी की जांच की और उसमें विशेष रूप से अद्भुत घटना को देखा।

 

यह घटना ब्राह्मण को यकीन कराने लगी कि भगवान सत्यनारायण महाराज उनके साथ हैं और उन्हें संपत्ति और सुख-शांति प्रदान करेंगे। ब्राह्मण ने अपने अधिकारियों और ग्रामवासियों को सत्यनारायण पूजा करने की सलाह दी और सभी ने उसे अपनाया। वे जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सम्पत्ति प्राप्त करने लगे।

 

इस प्रकार, ब्राह्मण की सत्यनारायण पूजा से सभी को वार्ता सुनने का लाभ मिलता है और वह जीवन में खुशहाली और समृद्धि प्राप्त करते हैं।

 

यह कथा सत्यनारायण पूजा के दौरान पाठ की जाती है और इसे पूजा के अंत में पठने से प्रसन्नता और आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा भी अन्य विभिन्न संस्कृति और परंपराओं में सत्यनारायण कथा के विभिन्न संस्करण उपलब्ध हो सकते हैं।



पूजा आरती - सत्यनारायण पूजा

श्री सत्यनारायणजी की आरती

आरती श्री सत्यनारायण जी की

 

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।

सत्यनारायण स्वामी जी की, आरती मैया करूँ।

 

जो कोई जन गावे, उसका जीवन सवारे।

भक्त जनों की रखवाली करें, विघ्नहरण भगवान सवारे।

 

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।

सत्यनारायण स्वामी जी की, आरती मैया करूँ।

 

व्रत कारीनों के दाता, आपकी कृपा आदारा।

भक्तों का संकट हरने वाले, दुःखहरण भगवान सवारे।

 

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।

सत्यनारायण स्वामी जी की, आरती मैया करूँ।

 

विशेष सुविधाएं और सुखों की वर्षा, प्राप्त कराने वाले हैं आप।

आरती मैया करूँ, दिन रात मन में ध्यान रहे आप।

 

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।

सत्यनारायण स्वामी जी की, आरती मैया करूँ।

 

सत्यनारायण स्वामी जी की आरती, पूजा के अंत में गाई जाती है और भक्त उसे गुणगान करते हैं। इस आरती का पाठ करने से सत्यनारायण भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।