पूजा विधि - होली पूजा
होली पूजा विधि कार्यक्रम को बेहतरीन और समृद्ध बनाने के लिए कई विभिन्न तरीके हो सकते हैं। नीचे दी गई होली पूजा विधि एक साधारण तरीका है जो आपको मार्गदर्शन करेगी:
सामग्री:
1. गुलाल (रंग)
2. गुड़
3. दही
4. मिठाई
5. पानी
6. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, तूलसी पत्ता)
7. कलश (पूजा के लिए उपयोग होने वाला एक पात्र)
8. फूलों की माला
9. आरती की थाली
10. पूजा की थाली (पूजा सामग्री रखने के लिए)
होली पूजा विधि:
1. सबसे पहले, एक स्वच्छ जगह चुनें जहां आप पूजा करने की योग्यता बना सकें।
2. पूजा स्थल को सजाएँ। एक चौकोर या आसन पर पंचामृत, फूल, गुलाल, गुड़ और मिठाई रखें।
3. पूजा की थाली पर दही, गुलाल, गुड़, मिठाई, और पानी रखें।
4. कलश को सजाएँ। इसमें पानी डालें और उसमें तुलसी पत्ता डालें। कलश को स्थान पर रखें जहां आप पूजा करने वाले हैं।
5. पूजा का आरंभ करें। अपने साथी या परिवार के सदस्यों के साथ मंगलाचरण करें।
6. पंचामृत का अर्चना करें। इसके लिए पंचामृत को कलश में से निकालें और सभी परिवार के सदस्यों को एक-एक करके पानी से अभिषेक करें।
7. फिर से पंचामृत को कलश में डालें और कलश पर तुलसी पत्ता रखें।
8. अब गुलाल का अर्चना करें। गुलाल को धर्मिक भावना के साथ बदलने के लिए उपयोग करें और अपने साथियों को गुलाल से अभिषेक करें।
9. गुड़ का अर्चना करें। गुड़ को अपने साथियों को खिलाएं और उन्हें आशीर्वाद दें।
10. मिठाई का अर्चना करें और उसे सभी के साथ बांटें।
11. होली की आरती गाएं और पूजा की थाली को परिवार के सदस्यों के साथ घूमाएँ।
12. अंत में, होली का पर्व मनाने के लिए गुलाल और रंग बांटें और खेलें।
यह होली पूजा की साधारण विधि है। आप इसे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार बदल सकते हैं और पूजा में और रंग-फंग के कार्यक्रम में अपनी पसंद के अनुसार अंतर कर सकते हैं। पूजा को सम्पूर्ण करने के बाद, अपने परिवार और दोस्तों के साथ होली का आनंद लें। होली की शुभकामनाएं!
पूजा सामग्री - होली पूजा
होली पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
1. पूजा थाली: एक बड़ी थाली जिसमें पूजा सामग्री रखी जा सके।
2. रंग और गुलाल: विभिन्न रंगों और गुलाल की पाउच जैसे रंग और गुलाल को रखें। इसका उपयोग होली के दौरान रंग बिरंगे खेलने के लिए किया जाता है।
3. अभिषेक सामग्री: शुद्ध जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) को एक पात्र में तैयार करें।
4. पूजा कलश: एक लोटा या कलश जिसे पूजा के लिए उपयोग किया जाता है। इसे पूर्ण करके तुलसी पत्ता और कोई फूल रखें।
5. पूजा सामग्री: धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर, सुपारी, कलश, कलश का अवरण, तिलक (रंगों की पाउच आदि से बनाया जा सकता है), अचार और मिठाई।
6. फूल: पूजा के लिए फूलों की पांचों प्रकार की वस्त्रें, फूलों की माला और पूजा स्थल पर रखने के लिए फूल।
7. पूजा के पुस्तक: यदि आपके पास होली पूजा के विशेष पुस्तक है, तो उसे प्रयोग करें। इसके अलावा, आप भक्तिसार, हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा आदि के पाठ कर सकते हैं।
8. प्रशाद: पूजा के बाद प्रशाद के रूप में मिठाई या फलों की थाली को भोग लगाएं।
यह हैं कुछ मुख्य सामग्री जो होली पूजा के दौरान उपयोग की जाती हैं। आप अपनी प्राथमिकताओं और परंपराओं के आधार पर इसे अनुकूलित कर सकते हैं और अपनी पूजा सामग्री की सूची में और आइटम जोड़ सकते हैं।
पूजा कथा - होली पूजा
समझते हैं और इसका आनंद लेते हैं। नीचे दी गई होली पूजा कथा को पढ़कर आप इसे समझ सकते हैं:
कथा का नाम: "हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा"
कथा का वर्णन:
कई साल पहले, दैत्यराज हिरण्यकश्यप बड़ी शक्तिशाली शास्त्रीय तपस्या करके ब्रह्मा द्वारा एक वरदान प्राप्त किया था। उसे प्रदत्त वरदान के अनुसार, हिरण्यकश्यप ने अमरत्व की अवधि को प्राप्त कर लिया था और अपने ब्रह्मा के समान स्वर्गीय शक्तियों को प्राप्त कर लिया था।
हिरण्यकश्यप का अहंकार और अधिकारवाद बढ़ता चला गया। उसका एक पुत्र नाम प्रह्लाद था, जो भक्ति और ईश्वर के प्रति अनुराग से भरा हुआ था। प्रह्लाद को अपने पिता के साम्राज्य में शासन करने के बाद भी ईश्वर की भक्ति करने की प्रतिज्ञा थी। हिरण्यकश्यप इस बात से परेशान था कि उसका पुत्र उसे नहीं मानता और उसकी शक्तियों की पूजा के बजाय ईश्वर की पूजा करता है।
हिरण्यकश्यप ने बहुत कोशिश की ताकि प्रह्लाद अपनी ईश्वर पूजा छोड़ दे, लेकिन प्रह्लाद कभी भी ईश्वर से अपनी भक्ति नहीं छोड़ा। यह बात हिरण्यकश्यप को गुस्सा और क्रोधित कर गई। उसने प्रह्लाद को सजा देने का फैसला किया।
होली के दिन, हिरण्यकश्यप अपनी बहन होलिका के साथ एक षड़यंत्र रचा। होलिका को एक विशेष अग्नि कुंड में बैठाकर प्रह्लाद को उसके साथ जला देने का योजना बनाई गई। हिरण्यकश्यप सोचा कि इस षड़यंत्र के बाद उसकी असीम शक्तियों का प्रमाण प्रह्लाद के मरने के बाद बढ़ जाएगा।
फिर एक वक्ता आया और प्रह्लाद के पास गया। वह वक्ता नारद मुनि थे, जो भगवान विष्णु के विश्वासी भक्त थे। नारद मुनि ने प्रह्लाद को सलाह दी कि वह अपनी ईश्वर भक्ति में सदैव दृढ़ रहें और अपनी माता-पिता के प्रति सम्मान रखें।
होली के दिन, होलिका और प्रह्लाद लोग उस विशेष अग्नि कुंड के आसपास एकत्रित हुए। हिरण्यकश्यप ने आग को जलाया और होलिका के साथ उसके आग में बैठ गई। लेकिन कुदरत की देवी भूमि ने प्रह्लाद को सुरक्षित रखने के लिए उसे आग से बचा लिया। होलिका जलकर समाप्त हो गई, लेकिन प्रह्लाद बच गया।
इस घटना के बाद, हिरण्यकश्यप का अहंकार और अधिकारवाद कम हुआ और प्रह्लाद की भक्ति को उच्च मान्यता मिली। यही कारण है कि होली पर हम लोग ईश्वर की भक्ति का मार्ग देखते हैं और होलिका दहन करके उसके बुराई और अधर्म का सम्बोधन करते हैं।
इसी तरह, होली के दिन हम रंग-बिरंगे खेल खेलकर और प्रेम और मित्रता का उद्यम करके ईश्वर की कृपा, सम्मान और प्रेम का आनंद लेते हैं।
यही होली पूजा कथा है, जो होली के पर्व में पढ़ी जाती है और इसे सुनकर मान्यताओं के साथ होली के उत्सव का आनंद लिया जाता है।
पूजा आरती - होली पूजा
होली पर कीजिए नृसिंह भगवान की आरती
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ओम जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, जनका ताप हरे॥
ओम जय नरसिंह हरे
तुम हो दिन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी।
अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी॥
ओम जय नरसिंह हरे
सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी, प्रभु दुस्यु जियो मारी।
दास जान आपनायो, दास जान आपनायो, जनपर कृपा करी॥
ओम जय नरसिंह हरे
ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे।
शिवजी जय जय कहकर, पुष्पन बरसावे॥
ओम जय नरसिंह हरे