अक्षय तृतीया पूजा

पूजा विधि - अक्षय तृतीया पूजा

अक्षय तृतीया पूजा विधि निम्नलिखित रूप से होती है:

 

सामग्री:

 

वस्त्र और वस्त्र का प्रतीक (कपड़े का एक छोटा टुकड़ा)

पूजा की थाली (लंगोट और पूजा सामग्री के साथ)

सात धातुओं के तरण (पीतल, तांबा, सोना, चांदी, लोहा, सीसा, ब्रॉन्ज)

पूजा सामग्री (रोली, चावल, दूध, दही, मिश्री, फूल, घी, दिया, धूप, अगरबत्ती, नारियल, फल, मिठाई, पंचामृत)

पूजा की थाली (लंगोट और पूजा सामग्री के साथ)

पूजा विधि:

 

सबसे पहले, शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजा स्थल को सजाएं। पूजा स्थल पर कपड़े का छोटा टुकड़ा बिछा दें।

 

पूजा स्थल पर लंगोट रखें और उसमें सात धातुओं के तरण रखें।

 

पूजा की थाली पर रोली, चावल, दूध, दही, मिश्री, फूल, घी, दिया, धूप, अगरबत्ती, नारियल, फल, मिठाई और पंचामृत रखें।

 

पूजा की थाली को स्वर्ण वस्त्र से ढक दें।

 

अब विधि के अनुसार गणेश और लक्ष्मी मूर्ति की पूजा करें।

 

विशेष मंत्रों का जाप करें, जैसे " श्रीम ह्रीम क्लीम ग्लौं गं गणपतये नमः" और " श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः"

 

दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाएं।

 

प्रदेश वंदना करें और अपने परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद दें।

 

नारियल, फल और मिठाई को देवी और देवताओं को अर्पित करें।

 

पंचामृत से प्रसाद तैयार करें और सभी को बांटें।

 

इस रूप में, अक्षय तृतीया की पूजा विधि पूरी हो जाती है। इस दिन, धन, सुख और समृद्धि की कामना की जाती है। यह पूजा ध्यान, आस्था और विश्वास के साथ की जानी चाहिए।



पूजा सामग्री - अक्षय तृतीया पूजा

अक्षय तृतीया पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

 

1.      देवी और भगवान की मूर्तियाँ या चित्र

2.      अगरबत्ती और धूप

3.      दीपक और बाती

4.      पूजा के लिए वस्त्र (पीला रंगीन वस्त्र प्राथमिकता होती है)

5.      पूजा के लिए पुष्प (लाल गुलाब, चमेली, अक्षता, जाई, केवड़ा, गेंदा)

6.      अदरक, नारियल, बनाना, सिंदूर, सुपारी, इलायची, लौंग, इत्र, नैवेद्य सामग्री (बासमती चावल, चीनी, दूध, घी, शक्कर, फल, मिठाई)

7.      पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, जल)

8.      पूजा के लिए कटोरी, पात्र, कलश, स्थानीय पानी, कलश स्थापना के लिए नारियल

यह सामग्री आपको अक्षय तृतीया पूजा के लिए तैयारी करने में मदद करेगी। पूजा के समय, इस सामग्री का उपयोग करके आप देवी और भगवान की पूजा कर सकते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।



पूजा कथा - अक्षय तृतीया पूजा

एक बार की बात है, एक गांव में एक गरीब लड़का नाम राम रहता था। उसके परिवार में व्यापारिक लाभ कम था और वे धन की कमी से पीड़ित थे। एक दिन उसके पिता ने उसे अक्षय तृतीया के महत्व के बारे में बताया।

 

पिता ने कहा, "बेटा, अक्षय तृतीया एक धार्मिक और महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन ईश्वर की पूजा करने और उनसे आशीर्वाद मांगने से हमें धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। इसके लिए हमें विशेष पूजा करनी चाहिए।"

 

राम ने अपने पिता से पूछा, "पिताजी, अक्षय तृतीया की कथा क्या है? कृपया मुझे इसके बारे में बताएं।"

 

पिता ने कहा, "बेटा, अक्षय तृतीया की कथा के अनुसार, एक बार देवता और देवीयों ने ब्रह्मा जी के पास जाकर अक्षय तृतीया व्रत के बारे में पूछा। ब्रह्मा जी ने उन्हें यह व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।"

 

राम ने ध्यान से सुना और पूछा, "पिताजी, अक्षय तृतीया व्रत का पालन कैसे किया जाता है?"

 

पिता ने कहा, "बेटा, इस व्रत के दिन लोग माता लक्ष्मी और प्रभु विष्णु की पूजा करते हैं। वे विशेष प्रसाद तैयार करते हैं और इसे देवी और भगवान को अर्पित करते हैं। उन्हें धन, सुख और समृद्धि की कामना करते हैं।"

 

राम ने अपने पिता से कहा, "पिताजी, मुझे भी अक्षय तृतीया के दिन व्रत रखना है। मैं देवी और भगवान की पूजा करके उनसे आशीर्वाद चाहता हूँ।"

 

राम ने व्रत रखा और पूजा की। उसने ध्यान से सभी पूजा सामग्री का इस्तेमाल किया और मन से देवी और भगवान की पूजा की। अपने ईश्वर से धन, सुख और समृद्धि की कामना की।

 

धीरे-धीरे, राम की जिंदगी में सुख, समृद्धि और धन बढ़ने लगे। उसका व्यापार उन्नति की ओर बढ़ा और उसके परिवार को खुशहाली मिली। राम ने धन्यवाद किया क्योंकि वह जानता था कि यह सब उसके अक्षय तृतीया व्रत और देवी-भगवान की कृपा का परिणाम था।

 

इस तरह, राम की शक्ति, समृद्धि और सुख की कहानी अक्षय तृतीया कथा के माध्यम से हमें सिखाती है कि इस व्रत का पालन करने से हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और हमें आनंद और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

इस प्रकार अक्षय तृतीया कथा समाप्त होती है। यह कथा हमें धन, सुख और समृद्धि की महत्वपूर्णता का बोध कराती है और इसे मनोकामनाओं की प्राप्ति के लिए व्रत और पूजा का महत्व बताती है।



पूजा आरती - अक्षय तृतीया पूजा

आरती:

जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

दूरजन विनाशिनी, दुःखहर्ता सुखकर्ता।

जय जय लक्ष्मी माता॥

 

ध्यान निर्मल विराजत, श्वेत मुक्ता धारी।

मैया जब होते ध्यान में, दारिद्र निवारी॥

सरस्वती, बैष्णो धारा, जग में ज्ञान विख्याता।

जय जय लक्ष्मी माता॥

 

धन यशोध्या तुम्हारी, जिस घर में तुम रहती।

सब सद्गुण आत्मा में, ज्ञान वैभव भरती॥

जय जय लक्ष्मी माता॥

 

तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदायिनी।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भव निधि की त्रयिणी॥

जय जय लक्ष्मी माता॥

 

जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आत्मा।

धन धान्य समृद्धि भरती, पाप उद्धार करता॥

जय जय लक्ष्मी माता॥

 

शुक्रवार पूजन तुम्हारा, सब विधि से किया जाता।

जन-मंगल धन दायिनी, भगवती भव भाग्य विधाता॥

जय जय लक्ष्मी माता॥

 

जो कोई जन तुमको ध्याता, रिद्धि-सिद्धि सुख सम्पत्ति।

दासी सकल जगत माता, सुख-राशि तुम्हारी पट्टि॥

जय जय लक्ष्मी माता॥

 

जो नित तुमको ध्याता, मन वांछित फल पाता।

सेवा परम भक्ति से, तुम्हरी होत जाता॥

जय जय लक्ष्मी माता॥

 

आरती मातु जी की, जो कोई नर गाता।

ऊँटन जीवन पावन, परमात्मा की साथा॥

जय जय लक्ष्मी माता॥

 

आरती करता जोगी, जन आनंद संग गावे।

धन धान्य सुख समृद्धि, जन्म जन्म की सेवे॥

जय जय लक्ष्मी माता॥

 

श्री विष्णु जी की आरती, जो कोई नर गाता।

ऊँटन जीवन पावन, परमात्मा की साथा॥

जय जय लक्ष्मी माता॥