महा शिवरात्रि पूजा

पूजा विधि - महा शिवरात्रि पूजा

महा शिवरात्रि पूजा विधि हिंदी में इस प्रकार है:

 

सामग्री:

 

शिवलिंग

जल

धूप

दीप

गंगाजल

बेलपत्र

फूल

पान

नरियल

चावल

धान्य

अक्षत

तांबे का ताला

रक्तपुष्प

श्रृंगार सामग्री (अथवा श्रृंगार के लिए पसंदित वस्त्र)

पूजा विधि:

 

पूजा के लिए एक पवित्र स्थान चुनें जहां आप शिवलिंग स्थापित कर सकें।

पूजा स्थल को साफ़ करें और सभी सामग्री तैयार करें।

अब पूजा शुरू करने के लिए अपने मन को शिव भक्ति में लगाएं और दिव्य मंत्रों का जाप करें।

शिवलिंग को प्रथम वस्त्र से धारण करें।

शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं।

अब शिवलिंग को फूल, बेलपत्र, पान, नरियल, चावल, धान्य, अक्षत, रक्तपुष्प, धूप और दीप से सजाएं।

मंत्रों का जाप करते हुए आप अपनी इच्छाओं और मांगों को शिव के चरणों में रख सकते हैं।

पूजा के अंत में अर्चना करें और भगवान शिव को प्रसाद के रूप में फल, पानी और चूर्ण दें।

अखंड ज्योति के साथ शिव आरती गाएं और शिव चालीसा का पाठ करें।

पूजा के बाद, आप अपने मन में शिव भक्ति का आनंद लें और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें।

ध्यान दें कि यह सामग्री और पूजा विधि आपकी प्राथमिकताओं और स्थानीय परंपराओं पर निर्भर कर सकती हैं। शिवरात्रि पूजा में कुछ और पद्धतियाँ भी हो सकती हैं जो किसी विशेष संप्रदाय या आपके परिवार के अनुसार हो सकती हैं।



पूजा सामग्री - महा शिवरात्रि पूजा

महा शिवरात्रि पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की सूची हिंदी में निम्नलिखित है:

 

1.      शिवलिंग: पूजा के लिए एक प्रतिष्ठित शिवलिंग या पत्थर या पारंपरिक शिव मूर्ति।

 

2.      जल: शुद्ध जल (गंगा जल या पवित्र जल) शिवलिंग पर धारित करने के लिए।

 

3.      देवी परिवार की मूर्तियाँ: दुर्गा माता, गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियाँ या चित्र।

 

4.      फूल: जैसे कि गुलाब के पुष्प, चमेली के पुष्प, केसरिया पुष्प आदि।

 

5.      धूप और दीप: गुग्गुल और कपूर के साथ धूप और दीप (दिया)

 

6.      बेल पत्र और पुष्प: बेल के पत्ते और फूल।

 

7.      बिल्व पत्र: त्रिदल (3 पत्तियों वाले) बिल्व के पत्र।

 

8.      जलचरी: शिवलिंग पर धारित करने के लिए उपयोग होने वाली जलचरी या कलश।

 

9.      गंगाजल या पावन जल: पूजा के लिए अलग रखें।

 

10.   रुद्राक्ष माला: माला या मुकुट के रूप में रुद्राक्ष की माला।

 

11.   पंचामृत: दूध, दही, घी, मधु और शहद का मिश्रण।

 

12.   फल और मिश्रित प्रसाद: फल, मिश्रित प्रसाद जैसे कि पाकवान, पंजीरी, खीर, मिश्री, नारियल आदि।

 

13.   वस्त्र: शिवलिंग को ढ़कने के लिए वस्त्र।

 

14.   मृगचर्म: आसन के लिए मृगचर्म या दुध की चमड़ी।

 

15.   धातु कलश: पूजा के लिए धातु का कलश।

 

16.   पूजा की थाली: लोहे या पीतल की पूजा की थाली, जिसमें पूजा सामग्री रखी जाएगी।

 

यह सामग्री महा शिवरात्रि की पूजा के लिए आवश्यक हो सकती है। आप अपनी सुविधा के अनुसार सामग्री की गणना और उपयोग कर सकते हैं।



पूजा कथा - महा शिवरात्रि पूजा

कबीरदास जी के आश्रम में एक साधू महात्मा रहते थे। वह सदैव भगवान शिव के ध्यान में लगे रहते थे और महा शिवरात्रि के दिन विशेष आनंद लेते थे। वर्षभर के इंतजार के बाद वह दिन आया जब सभी लोग शिव मंदिर में एकत्रित हुए।

 

उस दिन रात्रि के समय अंधकार छाया हुआ और तेल और घी के बदले उड़ाने लगे। लोगों ने आराम से विश्राम किया और उन्होंने साधु महात्मा से पूछा, "महात्मा जी, इस रात्रि की कथा के बारे में बताएं, क्या कारण है कि हम महा शिवरात्रि का व्रत रखते हैं?"

 

महात्मा ने प्रसन्नता से उत्तर दिया, "एक समय की बात है, जब धरती पर एक राजा था जिसका नाम चित्रगुप्त था। वह राजा बड़े धनी और बलशाली था, लेकिन उसकी पत्नी राजमाता शिवधनुषी अत्यंत नेक और भक्तिमय थीं। वे हमेशा भगवान शिव की पूजा-अर्चना में लगी रहती थीं।

 

एक दिन शिवरात्रि के दिन, राजमाता ने राजा चित्रगुप्त से कहा, "प्रभु, मुझे आज रात्रि में भगवान शिव की पूजा करने की अत्यंत इच्छा है। कृपया मुझे इजाजत दें और इस व्रत का पालन करने की अनुमति दें।"

 

राजा चित्रगुप्त ने राजमाता की अपेक्षा और उनके आदेश का पालन करते हुए व्रत रखने की अनुमति दी। रात्रि में, शिवरात्रि के पवित्र विभूति से शिवलिंग की पूजा की गई। राजमाता ने सभी पूजा सामग्री का उपयोग कर शिवलिंग को सजाया और धूप, दीप और फूलों की आरती की।

 

व्रत के दौरान, एक दुःखी और अभागा व्यक्ति भी मंदिर में पहुंचा और भगवान शिव के सामने अपनी दुःख बयां की। उसने कहा, "हे महादेव, मैंने अपने जीवन में अनेक दुःख और संकट सहा है। कृपया मेरे परिश्रम को ध्यान में रखकर मुझे दुःख से मुक्ति प्रदान करें।"

 

भगवान शिव ने उस व्यक्ति की सुनी और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया। व्यक्ति ने शिव की कृपा प्राप्त की और उसके दुःख दूर हो गए।

 

इस प्रकार, महा शिवरात्रि के व्रत के द्वारा राजमाता शिवधनुषी ने अपने पति के द्वारा पूजा की इच्छा को पूरा किया और एक दुःखी व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा प्राप्त हुई।

 

इसलिए, हम महा शिवरात्रि का व्रत रखते हैं ताकि हम भगवान शिव की पूजा-अर्चना में लगे रहें और उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त कर सकें। महा शिवरात्रि के दिन हम अपनी मनोकामनाओं को प्रभु के सामक्ष रख सकते हैं और अपने जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।



पूजा आरती - महा शिवरात्रि पूजा

जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

 

ओं हे जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा॥

 

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे॥

 

ओं हे जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा॥

 

दूर निरालंब पापकारी, ध्यान धरे मन हरी।

महादेव मम दीन दयाल, दर्शन दे विख्याल॥

 

ओं हे जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा॥

 

ब्रह्माणी रुद्राणी, संग सभे योगी।

अघोरी अधोरी अच्युतानंत रूपी॥

 

ओं हे जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा॥

 

श्री शिव आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मन वांछित फल पावे॥

 

ओं हे जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा॥

 

आरती कीजै जय शिवरात्रि की।

जय शिवांशिवरात्रि की॥

 

ओं हे जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा॥