पूजा विधि - भूमि पूजन
भूमि पूजन विधि भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पूजा विधि है जो किसी नये या निर्माणाधीन स्थान की शुभरुचि के लिए की जाती है। यह पूजा विधि विशेष रूप से मंदिर, निवास स्थान, व्यापारिक स्थल या किसी दूसरे स्थान की नींव रखने के समय अनुष्ठान की जाती है। निम्नलिखित हैं भूमि पूजन की एक सामान्य विधि:
1. सामग्री की तैयारी: भूमि पूजन के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की तैयारी करनी होगी:
- हल्दी, कुमकुम, अगरबत्ती, दीपक, नारियल, फूल, अच्छे से साफ़ किए गए ज़मीन के टुकड़े, गंगाजल या पवित्र जल, कलश, वस्त्र, फल, पान के पत्ते, सुपारी, नगरवासी नारियल, आदि।
2. पूजा स्थल की सजावट: भूमि पूजन के लिए एक साफ़ और सुखद मंडप तैयार करें। मंडप को फूलों, पत्तों और वस्त्रों से सजाएं। एक छोटा मंडप भी बना सकते हैं, जैसे खुड़ेली या पल्लू के तहत किसी बाजार में मिलने वाला झूला भी चला सकते हैं
।
3. पूजा की आरम्भ: पूजा की आरम्भ में गणेश जी की पूजा करें। उन्हें दीपक और फूलों से पूजें और मंत्रों का जाप करें।
4. भूमि का शुद्धीकरण: फिर भूमि को शुद्ध करने के लिए गंगाजल या पवित्र जल का उपयोग करें। भूमि पर जल छिड़कें और मंत्रों का जाप करें।
5. भूमि के पूजन: अब भूमि की पूजा करें। भूमि के टुकड़ों को हल्दी और कुमकुम से सजाएं। उन्हें फूलों, पान के पत्तों, सुपारी और नारियल के साथ सजाएं।
6. पूजा का समापन: आखिर में, पूजा का समापन करें और भूमि की कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
यह ऊपर दी गई विधि भूमि पूजन की एक सामान्य विधि है। हालांकि, यह विधि विभिन्न प्रांतों और संप्रदायों में थोड़ी भिन्नता दिखा सकती है। तो यदि आप किसी विशेष भूमि पूजन की विधि के बारे में जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञ या स्थानीय पंडित से संपर्क करना उचित होगा।
पूजा सामग्री - भूमि पूजन
भूमि पूजन के लिए आवश्यक सामग्री की सूची निम्नलिखित है:
1. हल्दी (Haldi)
2. कुमकुम (Kumkum)
3. अगरबत्ती (Agarbatti)
4. दीपक (Deepak)
5. फूल (Phool)
6. नारियल (Nariyal)
7. फल (Phal)
8. पान के पत्ते (Pan ke patte)
9. धूप (Dhoop)
10. गंगाजल (Gangajal) या पवित्र जल (Pavitr Jal)
11. कलश (Kalash)
12. वस्त्र (Vastra)
13. सुपारी (Supari)
14. नगरवासी नारियल (Nagarwasi Nariyal)
यह सामग्री भूमि पूजन में उपयोग होने वाली सामग्री है और इसका उपयोग पूजा के दौरान किया जाता है। इसे सावधानीपूर्वक और शुद्धता के साथ इस्तेमाल करें और पूजा की योजना के अनुसार उनका उपयोग करें।
पूजा कथा - भूमि पूजन
भूमि पूजन कथा हिंदी में निम्नलिखित रूप में है:
एक समय की बात है, एक गांव में एक सम्पन्न व्यापारी रहता था। उसे नए व्यापार के लिए एक सुंदर और शुभ स्थान की आवश्यकता थी। व्यापारी ने अपने विश्वास के साथ भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए एक सुंदर स्थान ढूंढ़ा और उसे खरीद लिया।
जब व्यापारी वहां पहुंचा, तो उसने देखा कि वह स्थान अभी अविकसित था और उसे पूरी तरह से निर्मित करने की आवश्यकता थी। इसलिए, उसने भूमि पूजन का निर्णय लिया ताकि उसे शुभ बनाने के लिए भगवान की कृपा प्राप्त हो सके।
व्यापारी ने विश्वास और समर्पण के साथ भूमि पूजन की योजना बनाई। उसने पंडित जी को आमंत्रित किया और भगवान की कृपा के लिए उनसे मदद मांगी।
पंडित जी ने सभी पूजा सामग्री जैसे हल्दी, कुमकुम, दीपक, फूल, नारियल, अगरबत्ती, कलश, वस्त्र, फल, पान के पत्ते, सुपारी, नगरवासी नारियल आदि को सजाने के लिए
लाए।
भूमि पूजा के दिन, व्यापारी ने सभी लोगों को आमंत्रित किया और भगवान की कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना की। पंडित जी ने उपयुक्त मंत्रों के साथ भूमि पूजन की प्रक्रिया शुरू की।
पंडित जी ने गणेश जी की पूजा करके उन्हें दीपक और फूलों से पूजा की। उसके बाद, उन्होंने भूमि को शुद्ध करने के लिए गंगाजल छिड़का और मंत्रों का जाप किया। वे हल्दी, कुमकुम और फूलों से भूमि की सजावट की।
अंत में, व्यापारी ने भगवान की कृपा के लिए प्रार्थना की और उन्हें आशीर्वाद देने के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। वह सभी लोग खुश और प्रसन्न महसूस करने लगे और व्यापारी को उनके नए स्थान की शुभरुचि और सफलता की कामना की।
इस प्रकार, व्यापारी ने भूमि पूजन के द्वारा भगवान की कृपा प्राप्त की और उसके व्यापार में शुभता और सफलता की प्राप्ति हुई।
यह थी भूमि पूजन की कथा हिंदी में। भूमि पूजन की कथा का पालन करने से पूजा की
प्रक्रिया में शक्ति और शुभता आती है और स्थान में बारकत बनी रहती है।
पूजा आरती - भूमि पूजन
भूमि पूजन के दौरान भूमि आरती का पाठ किया जाता है। यहां भूमि पूजन आरती के शब्द हैं:
जय जय भूमि माता, हरण भव भय करता।
त्रिभुवन राजनीति बचाता, जय जय भूमि माता॥
सभी देवताओं की सबसे मातृक तुम ही हो,
तुम्हें प्रणाम करते हैं जन-जन मन से।
मंगलकारी शुभ स्वरूप तुम हो,
तुम्हें वन्दन करते हैं नित्य जीवन में॥
धरती के रूप में तुम स्थित हो,
तुम्हारे चरणों में हम धर्म धारण करें।
प्रकृति की रक्षा तुम करो,
हमें सदा रक्षा करना हमारा धर्म है॥
मातृभूमि के समर्पित हम हैं,
आपका ध्यान और आशीर्वाद लेते हैं।
प्रार्थना करते हैं आपके चरणों में,
भविष्य की शांति और सुख देने के लिए॥
जय जय भूमि माता, हरण भव भय करता।
त्रिभुवन राजनीति बचाता, जय जय भूमि माता॥
यह आरती भूमि पूजन के दौरान पाठ की जाती है और भूमि माता की महिमा, प्रार्थना और समर्पण को प्रकट करती है।