विश्वकर्मा पूजा

पूजा विधि - विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा एक हिंदू धार्मिक पर्व है जो विश्वकर्मा देवता को समर्पित होता है। यह पूजा भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाई जाती है। विश्वकर्मा पूजा के दौरान, व्यापारी, शिल्पकार, उद्योगपति, विज्ञानी, इंजीनियर और कारीगर आदि के द्वारा विश्वकर्मा देवता की पूजा की जाती है ताकि वे उनकी कृपा बनाए रखें और सभी शिल्पकारी और कर्मचारियों को सफलता प्रदान करें। नीचे विश्वकर्मा पूजा की विधि है:

सामग्री:
1. विश्वकर्मा देवता की मूर्ति या चित्र
2. पूजा सामग्री (अगर हो सके, तो ये सामग्री रखें: रोली, अक्षत, धूप, दीप, फूल, नैवेद्य सामग्री, पुष्प, गंध, बत्ती, कलश, पंचामृत)

पूजा विधि:
1. पूजा स्थल को साफ करें और सजाएं।
2. अपने घर में या विश्वकर्मा पूजा स्थल में विश्वकर्मा देवता की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
3. पूजा सामग्री को तैयार करें।
4. पूजा का आरंभ

करने के लिए पहले अपने हाथों को धो लें।
5. अपने मन में विश्वकर्मा देवता को याद करें और उनसे आशीर्वाद प्रार्थना करें।
6. अब रोली और अक्षत को मूर्ति या चित्र पर रखें।
7. धूप दीप जलाएं और अपने दिए गए अन्य दीपों को भी जलाएं।
8. फूलों की माला लें और उसे मूर्ति या चित्र के चारों ओर बांधें।
9. नैवेद्य सामग्री को विश्वकर्मा देवता के सामने रखें। इसमें पुष्प, फल, चावल, मिष्ठान आदि शामिल हो सकते हैं।
10. पंचामृत बनाएं और उसे विश्वकर्मा देवता के चरणों पर चढ़ाएं।
11. गंध और अक्षत को भी विश्वकर्मा देवता के चरणों पर चढ़ाएं।
12. पूजा के बाद, अपनी पूजा को पूरा करें और विश्वकर्मा देवता के सामरिकों को चढ़ाएं।
13. अपनी पूजा को समाप्त करें और विश्वकर्मा देवता का आशीर्वाद लें।

यह विश्वकर्मा पूजा की सामान्य विधि है। हालांकि, प्रत्येक क्षेत्र और परिवार में थोड़ी विभिन्नता हो सकती है, इसलिए आपको

संबंधित स्थानीय परंपरा या पुरानी परंपराओं का पालन करना चाहिए। इससे आपको विश्वकर्मा पूजा का आदर्शित रूप मिलेगा।


पूजा सामग्री - विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा की सामग्री की सूची हिंदी में निम्नलिखित है:

1. रोली (रंगोली)
2. चावल (अक्षत)
3. पुष्प (फूल)
4. दीपक (धूपबत्ती)
5. देवी-देवताओं के लिए नैवेद्य (प्रसाद) - फल, मिठाई, पान, नारियल, खीर, पूरी, चना, चावल, दूध, घी, शक्कर आदि
6. पंचामृत - दूध, दही, घी, शर्करा और शहद का मिश्रण
7. गंध (चंदन)
8. अक्षत (राईस)
9. फूलों की माला
10. पूजा के लिए कपड़े - चादर, चोली, धोती
11. पूजा स्थल की सजावट के लिए - चादर, अलंकारिक वस्त्र, मणि, कलश, आभूषण, आदि
12. पूजा की थाली - थाली, कटोरी, गिलास, स्पून, थली कवड़ी, विभिन्न धातु के उपकरण
13. पूजा संबंधित पुस्तकें, आरती संग्रह आदि

यह सामग्री आपकी विश्वकर्मा पूजा के लिए आवश्यक हो सकती है। हालांकि, आप अपनी परंपरा और परिवार की संस्कृति के अनुसार सामग्री को वृद्धि या कमी भी कर सकते हैं।


पूजा कथा - विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा कथा हिंदू धर्म में विश्वकर्मा देवता की महिमा और महत्व को दर्शाने वाली है। यहां विश्वकर्मा पूजा कथा है:

कथा शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

कथा:
एक समय की बात है, एक गांव में एक बहुत ही प्रसिद्ध और महान शिल्पकार रहते थे। उनका नाम विश्वकर्मा था। विश्वकर्मा बहुत नेत्रभूत और तकनीकी कौशल से युक्त थे। उनकी सृजनशीलता का जोर विश्व में था।

एक बार विश्वकर्मा ने देवताओं को आह्वानित किया और उन्हें एक विशेष सभा में आमंत्रित किया। सभी देवताओं ने विश्वकर्मा के आह्वान पर उनकी सभा में पहुंचा दी।

सभा में पहुंचने पर विश्वकर्मा ने देवताओं को धन्यवाद दिया और उनसे यह कहा कि उन्होंने उन्हें उनकी शिल्पकारी के लिए प्राकृतिक सामग्री प्रदान की है। उन्होंने इससे मानव जीवन में अनेकों सुविधाएं प्रदान की हैं।

विश्वकर्मा ने देवताओं से कहा, "मेरी शिल्प

कारी बिना तकनीकी कौशल के असम्भव है। मैंने विभिन्न लोकों के लिए नगर, नदी, सेतु, मंदिर, गुफा, यंत्र, और अन्य निर्माण कार्यों को सम्पन्न किया है।"

देवताओं ने उनकी कौशलता को देखकर उन्हें बधाई दी और उनकी प्रशंसा की। सभी देवताओं ने मिलकर विश्वकर्मा की पूजा और स्तुति की।

विश्वकर्मा द्वारा शिल्पकारी की प्रशंसा करने के बाद, ब्रह्मा देव ने उनसे पूछा, "विश्वकर्मा, तुम्हारी शिल्पकारी और तकनीकी कौशल ब्रह्मांड के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। क्या तुम चाहेंगे कि तुम्हारी पूजा भी पूरे विश्व में मनाई जाए?"

विश्वकर्मा ने उसकी प्रार्थना की और उन्होंने अपनी पूजा के लिए तिथि निर्धारित की, जो पूरे विश्व में वर्षभर मनाई जाने लगी। उस दिन से विश्वकर्मा पूजा हर साल मनाई जाती है, और लोग उन्हें उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

यह विश्वकर्मा पूजा कथा है जो उनकी महिमा और महत्व को दर्शाती है। इसक

ी कथा को सुनकर लोग विश्वकर्मा देवता की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।


पूजा आरती - विश्वकर्मा पूजा

यहां विश्वकर्मा पूजा की आरती है, जिसे आप हिंदी में पढ़ सकते हैं:

आरती:
जय विश्वकर्मा विश्वकर्मा, आरती उतारो भवन मैं।
सुन्दर रूप निराला, अतुल तेज विशाला॥

चरण:
अष्टधातु निर्माण करने वाले, कर दे विघ्न निवारण।
हे दुर्गा जी के पुत्र विश्वकर्मा, दुःख हरो निवारण॥

चमक चमक सब धातुओं की, जगमग जगावे नित्य।
संसार सजाने वाले, सुरदेवता के पिता॥

माता तेरी आरती उतारूं, जीवन तुझे पुकारूं।
कर्मभूमि में तेरी शक्ति, विश्वकर्मा नाम तिहारूं॥

आरती उठाऊं तुझे भगवान, अनंत कल्याणकारी।
हे विश्वकर्मा देवता, कृपा करो हम पर हमारी॥

जय विश्वकर्मा विश्वकर्मा, आरती उतारो भवन मैं।
सुन्दर रूप निराला, अतुल तेज विशाला॥

आरती करते हुए आप धूप और दीपक की प्रदर्शन कर सकते हैं, जो विश्वकर्मा देवता को समर्पित होते हैं। इसके अलावा, आप विश्वकर्मा देवता के गुणों की प्रशंसा करते हुए उन

से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।