पूजा विधि - रक्षा बंधन पूजा
रक्षा बंधन पूजा विधि निम्नलिखित रूप से हो सकती है:
सामग्री:
1. रक्षा सूत्र (मौजी, सोने या चांदी का)
2. तिलक लगाने का सामग्री (केसर, चंदन और गुलाब के फूल)
3. पूजा के लिए फूल और पुष्पांजलि
4. आरती थाली
5. दीपक और घी
6. पूजा का पानी (गंगाजल या साफ पानी)
7. पूजा के लिए प्रशाद
पूजा की विधि:
1. पूजा स्थल को साफ करें और उसे सजाएँ।
2. रक्षा सूत्र को पूजा स्थल पर रखें।
3. अपने हाथों में तिलक का सामग्री ले और भाई के दाहिने हाथ पर तिलक लगाएं। इसके बाद, उन्हें रक्षा सूत्र को भी धारण करने के लिए प्रेरित करें।
4. तिलक लगाने के बाद, भाई की आरती करें और वचन दें कि आप हमेशा उनकी सुरक्षा करेंगे।
5. दीपक को जलाएं और रक्षा सूत्र के आसपास घूमें।
6. भक्ति भाव से पूजा करें और अपने प्रेम और आशीर्वाद का प्रकट करें।
7. पूजा के बाद प्रशाद बांटें और इस अवसर पर आपस में बंधन मजबूत करें।
यहां दी गई विधि केवल एक
साधारण रूपरेखा है। आप अपने परिवार की प्राथमिकताओं और परंपराओं के आधार पर इसे अनुकूलित कर सकते हैं। ध्यान दें कि यह सिर्फ एक पौराणिक परंपरा है और उसे आधिकारिक रूप से प्रयोग करने से पहले अपने परिवार की सलाह लें।
पूजा सामग्री - रक्षा बंधन पूजा
रक्षा बंधन पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
1. राखी: रक्षा बंधन की पूजा में विशेष रूप से बनाई गई राखी की आवश्यकता होती है। राखी बहुत सारे आकार, रंग और डिजाइन में उपलब्ध होती है।
2. तिलक सामग्री: रक्षा बंधन के दौरान राखी के विभिन्न अंगों पर तिलक लगाने के लिए तिलक सामग्री की आवश्यकता होती है। इसमें रोली, चावल, लाल और केसर का पाउडर शामिल हो सकता है।
3. दीपक: पूजा में दीपक जलाने के लिए एक छोटा सा दीपक का उपयोग किया जाता है। आप मिट्टी, सुगंधित तेल और बाती शामिल कर सकते हैं।
4. फूल: पूजा के लिए फूलों की सामग्री की आवश्यकता होती है। आप गेंदा, रोज़, मरीगोल्ड, चमेली आदि के फूलों का उपयोग कर सकते हैं।
5. पूजा सामग्री: पूजा के लिए अन्य सामग्री जैसे कि कुमकुम, अक्षता (चावल), धूप, दीप, नारियल, फल, मिठाई, पान, नदी जल आदि की आवश्यकता हो सकती है।
इन सामग्रियों को पूजा स्थल पर एकत्र करें और उन्हें पूजा के दौरान उपयोग करें। यह सामग्री रक्षा बंधन की पूजा को सम्पूर्ण और आदर्श बनाने में मदद करेगी।
पूजा कथा - रक्षा बंधन पूजा
रक्षा बंधन पूजा कथा निम्नलिखित है:
कथा:
एक समय की बात है, देवलोक में देवराज इंद्र बहुत प्रशस्त महिमा और सामर्थ्य से सुशोभित थे। उनकी बहन देवी अंबे भी उत्कृष्ट सुंदरता और शक्ति के प्रतीक थीं। इंद्र और अंबे के बीच एक बड़ी मुद्दत से प्रेम और सम्मान का बंधन था।
एक दिन, देवताओं को बहुत चिंता हुई क्योंकि राक्षस राजा हिरण्यकश्यप बड़ी ताकत और आत्मविश्वास के साथ विश्वास लेकर आया था। हिरण्यकश्यप ने स्वर्ग लेने की दृष्टि से आक्रमण करने का निर्णय लिया था। उनकी शक्ति और सेना ने देवताओं को डराया और उन्हें विचलित कर दिया।
इस अत्यंत चिंता की स्थिति में, देवताओं ने देवी अंबे के पास जाकर सहायता के लिए विनती की। अंबे ने उनकी बात सुनी और उन्हें संतुष्ट करने का वचन दिया। उन्होंने देवताओं को रक्षा के लिए एक विशेष राखी बनाने की सलाह दी और वचन दिया कि जब ये राखी भाई के हाथ में बांधी जाएग
ी, तो उसकी सुरक्षा की गारंटी होगी।
देवताओं ने अंबे के उपाय का अनुसरण किया और एक साधारण धागे से राखी बनाई। देवी अंबे ने इसे भाई इंद्र के हाथ में बांधा और उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे शक्तिशाली बने और हिरण्यकश्यप का सामरिक नाश करें।
रक्षा बंधन के दिन, इंद्र ने उच्च स्वर में देवी अंबे की प्रशंसा की और राखी के साथ अंबे की विजय की कथा सभी देवताओं को सुनाई। उसके बाद, वे सभी अपने बहनों और बहनों के बाद अन्य रिश्तेदारों के हाथों में राखी बांधे और उन्हें आशीर्वाद देते हुए अपना सम्मान प्रकट करते हैं।
इस प्रकार, रक्षा बंधन पूजा देवी अंबे के शक्तिशाली आशीर्वाद का प्रतीक है और यह भाई-बहन के प्रेम और सम्मान को मजबूत करने का उत्कृष्ट उदाहरण है।
ध्यान दें कि यह कथा एक पौराणिक कथा है और उसे आधिकारिक रूप से प्रयोग करने से पहले अपने परिवार की सलाह लें।
पूजा आरती - रक्षा बंधन पूजा
रक्षा बंधन पूजा के दौरान आप निम्नलिखित आरती का पाठ कर सकते हैं. यह आरती रक्षा बंधन के अवसर पर रची गई है:
आरती:
आरती कुंडे नरक निवारे,
त्रिगुण तारे गुण उजारे।
ज्योति स्वरूप जग पालका,
मुख ते वदन को रखवालका॥
चद्मा चंद्र सुद्धा निराले,
सादर बैठे भक्ति विहारे।
देखि विकराल रूप निरंजन का,
रक्षा बंधन धारे शोभा निहारे॥
स्नान कीजै भूत उपवासी,
सब भैंस नहावत है अनुशासी।
यम करावत राखस ते नाशा,
देव संग लाई नित्य निवासा॥
रक्षा करे जग के रखवाले,
ब्रह्मा विष्णु शंकर अवतारे।
त्रिमुर्ति राखे सब की बंधन,
अमर देव निज धाम पुकारे॥
आरती कुंडे नरक निवारे,
त्रिगुण तारे गुण उजारे।
ज्योति स्वरूप जग पालका,
मुख ते वदन को रखवालका॥
आरती करति जो कोई जन तेरी,
कारा करूँ मैं ज्ञान बल तेरी।
ज्ञान बल कैसे तुझ बिन पाऊँ,
मैं आरती मुख तेरे कराऊँ॥
आरती कुंडे नरक न
िवारे,
त्रिगुण तारे गुण उजारे।
ज्योति स्वरूप जग पालका,
मुख ते वदन को रखवालका॥
ध्यान दें कि यह आरती रक्षा बंधन की पूजा के दौरान उपयोग के लिए है और पूजा स्थल पर उच्चारित की जाती है। आप इसे अपनी रक्षा बंधन पूजा में शामिल कर सकते हैं।