रक्षा बंधन

पूजा विधि - रक्षा बंधन

रक्षा बंधन पूजा विधि:

रक्षा बंधन त्योहार पर भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी के कथानुसार पूजा करने से रक्षा बंधन का विशेष महत्व होता है। इस पूजा को करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:

सामग्री:
1. एक रक्षा सूत्र (राखी)
2. चावल, कुमकुम, अक्षता (चावल के धाराएं)
3. दीपक और घी
4. पुष्प, धूप, अगरबत्ती
5. पांच प्रकार के मिठाई
6. पूजा के लिए जगह (पूजा स्थल)

पूजा विधि:
1. पूजा के लिए साफ़ और शुद्ध स्थान चुनें, और उसे आसन से सजाएं।
2. रक्षा सूत्र को भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी के चित्र के सामने रखें।
3. चावल के धाराएं, कुमकुम और अक्षता के गोले तैयार करें और इन्हें पूजा स्थल पर रखें।
4. धूप, दीपक, अगरबत्ती को जलाकर देवी-देवताओं को सत्कार करें।
5. अब रक्षा सूत्र को अपने भाई के हाथ में लेकर उसे व्रताचरण मंत्र के साथ बाँधें।
6. भाई के मुँह में मिठाई डालें और उसे आशीर्वाद दें। भाई भी आपको आशीर्वाद दें और आपको उपहार दें।
7. रक्षा सूत्र को बाँधने के बाद, दोनों के मिलने से पहले चावल के धाराएं भाई और बहन दोनों के सिर पर टिका दें।
8. पूजा के बाद, भाई-बहन मिठाई खाएं और इस खुशी के पलों का आनंद लें।

यह रक्षा बंधन पूजा विधि आपको इस प्रिय त्योहार पर भगवान के आशीर्वाद सहित खुशियाँ और समृद्धि प्रदान करे। ध्यान रहे कि पूजा के लिए साफ-सुथरा और शुद्ध स्थान चुनना बहुत महत्वपूर्ण है।


पूजा सामग्री - रक्षा बंधन

रक्षा बंधन पूजा के लिए सामग्री (Raksha Bandhan Puja Samagri):

1. राखी (रक्षा सूत्र)
2. चावल (अभिषेक के लिए)
3. कुमकुम और हल्दी (अभिषेक के लिए)
4. अक्षता (चावल के धाराएं बनाने के लिए)
5. फूल (पूजा के लिए)
6. दीपक और घी (आरती के लिए)
7. धूप बत्ती और अगरबत्ती
8. पांच प्रकार की मिठाई (प्रसाद के रूप में)
9. पूजा के लिए जगह (पूजा स्थल)

यह सामग्री आपको रक्षा बंधन पूजा को सम्पन्न करने के लिए आवश्यक है। पूजा के समय इन सामग्रियों का उपयोग करके आप रक्षा सूत्र बाँधने और भगवान को विधि-विधान से पूजने में सहायता करेंगे।


पूजा कथा - रक्षा बंधन

रक्षा बंधन पूजा कथा (Raksha Bandhan Puja Katha):

देवी द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा:

एक समय की बात है, महाभारत काल में द्रौपदी, द्रुपद राजा की पुत्री, बहुत ही सुंदर, साहसी और धार्मिक थी। उसके पिता ने एक विश्वविद्यालय में यज्ञ का आयोजन किया और यजमान को धन्यवाद देने के लिए अनेक सौंदर्यपूर्ण सभी बनाने का आदेश दिया। यजमान अपनी यात्रा पर निकल गए और जिन्हें बुलाया था, वे सभी एकत्र हो गए।

द्रौपदी को वे अनेक बनाने समझ नहीं पाए और उसे दुखी होकर वे भगवान कृष्ण के पास गई। वह अपनी परेशानी सुनाने उनके समक्ष बैठी और उनसे मदद की भी प्रार्थना की।

श्रीकृष्ण ने प्यार से उसका हाथ पकड़ा और उसे सामान्य बनाने की सलाह दी। तभी श्रीकृष्ण के अनुग्रह से एक अद्भुत रूप में अनेक सौंदर्यपूर्ण बनाने हो गए और द्रौपदी बहुत खुश हुई।

अगले दिन जब सभी यात्री आए, तो उन्हें द्रौपदी ने अपनी आंखों के सामने रखा और उन्हें पूछा कि वे किस बनाने को बनाना चाहते हैं? तभी श्रीकृष्ण उनके पास आए और उनसे कहा, "अरे बाबू, मेरे पास तो सिर्फ एक ही बनाने है, वह है रक्षा सूत्र। इसे बाँधने से आपके भाई को दुश्मनों से सुरक्षा मिलेगी।"

द्रौपदी ने उसे बाँधकर अपने भाई द्रुपद को रक्षा सूत्र बांधा दिया और वह उन्हें सुरक्षित रखने का संकल्प लेती हैं। इसी दिन से रक्षा बंधन के रूप में यह पर्व मनाया जाने लगा और भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक बन गया।

इसी रीति से रक्षा बंधन के दिन भाई-बहन एक-दूसरे के प्रति अपने प्रेम को साझा करते हैं, एक-दूसरे को बधाई देते हैं और वचन देते हैं कि वे हमेशा एक-दूसरे की सुरक्षा करेंगे और आपसी प्रेम को सदैव बनाए रखेंगे।


पूजा आरती - रक्षा बंधन



आरती की थाली सजाओ,
भजनों में गाओ।
भक्ति भाव से सजाओ,
मंगलवार को राखी बाँधो।

चाँद सितारे चमके,
मीठी मिठी बातें कहे।
बंधन भाई-बहन का,
प्यारी प्यारी आरती गाए।

भाई की सुरक्षा बढ़ाने,
रक्षा बंधन आया।
दीजिए अपने भाई को,
वरदान स्वर्ग का पाया।

धूप दीप फूल चढ़ाएं,
प्रेम भेजें मनाएं।
रक्षा बंधन आरती गाएं,
सभी खुशियाँ चाहे।

रक्षा बंधन की आरती गाई,
भगवान बलिहारी।
भक्ति भाव से सजाई,
सबकी मन की विधारी।

मंगलवार को आरती चढ़ाई,
सुख शांति मिले।
रक्षा बंधन की पूर्ण आरती,
मनोकामना पूरी हो जाए।

आरती गाने से आए,
भगवान का आशीर्वाद।
सभी भाई-बहन रहे खुश,
सफलता के सफल प्रयास।

धूप दीप चमके जगमगाये,
प्रेम भाव से आरती गाएं।
रक्षा बंधन की आरती सजाएं,
सभी खुशियाँ लेकर आएं।

आरती की थाली सजाओ,
भजनों में गाओ।
भक्ति भाव से सजाओ,
मंगलवार को राखी बाँधो।

यह रक्षा बंधन पूजा आरती आपको रक्षा बंधन के शुभ अवसर पर पूजा के बाद गाई जाती है और भगवान की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का संदेश देती है। यह आरती गाकर आप भाई-बहन के प्रेम को और बढ़ा सकते हैं और सुख-शांति भरे जीवन को आनंदित कर सकते हैं।