पूजा विधि - शांति पूजा विधि
शांति पूजा विधि
परिचय
शांति पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो हमारे जीवन में शांति और संतुलन लाने के लिए किया जाता है। यह पूजा व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक कल्याण के लिए की जाती है। यहां शांति पूजा की विस्तृत विधि दी गई है जिसे आप घर पर स्वयं कर सकते हैं।
शांति पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
1. पूजा स्थान की सफाई
2. भगवान की मूर्ति या तस्वीर (विशेषकर गणेश जी, विष्णु जी और शिव जी)
3. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
4. पुष्प (फूल)
5. फल
6. अक्षत (चावल)
7. जल (पानी)
8. धूप
9. दीपक
10. कपूर
11. पवित्र धागा (मौली)
12. नारियल
13. पान के पत्ते
14. सुपारी
15. इलायची, लौंग
16. हवन सामग्री
17. शुद्ध घी
शांति पूजा की विधि
1. प्रारंभिक तैयारी
- सबसे पहले पूजा स्थान की सफाई करें।
- भगवान की मूर्ति या तस्वीर को साफ स्थान पर स्थापित करें।
- एक चौकी पर एक सफेद कपड़ा बिछाएं और भगवान की मूर्ति को उस पर रखें।
- स्वयं शुद्ध वस्त्र धारण करें और स्नान करें।
- पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
2. संकल्प
- दाहिने हाथ में जल, अक्षत, पुष्प और एक पत्ते को लेकर संकल्प करें:
```
ॐ तत्सत् अद्य श्री भगवतो महापुरुषस्य विष्णोः आज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्य ब्रह्मणः द्वितीयपरार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमपादे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भारतखण्डे ..........गोत्रे ..........नाम श्रुतम धर्मेण शांति पूजा करिष्ये।
```
3. गणेश पूजन
- सर्वप्रथम भगवान गणेश का पूजन करें:
```
ॐ गणपतये नमः।
```
- गणेश जी को फूल, अक्षत और जल अर्पित करें।
- दूर्वा, चंदन, और मिठाई अर्पित करें।
4. कलश स्थापना
- एक तांबे या पीतल के कलश में जल भरें।
- उसमें आम या अशोक के पत्ते डालें और उसके ऊपर नारियल रखें।
- कलश को भगवान के सामने स्थापित करें।
5. पंचामृत स्नान
- भगवान की मूर्ति को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से स्नान कराएं।
- पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएं।
6. आचमन और प्राणायाम
- तीन बार आचमन करें (जल की कुछ बूंदें मुंह में डालें)।
- फिर तीन बार प्राणायाम करें (गहरी सांस लें और छोड़ें)।
7. पूजा का आरंभ
- भगवान विष्णु का ध्यान करें और निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
```
ॐ नमो नारायणाय।
```
- भगवान शिव का ध्यान करें और निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
```
ॐ नमः शिवाय।
```
8. शांति पाठ
- शांति पाठ का उच्चारण करें:
```
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः
पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः।
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
```
9. हवन
- हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करें।
- हवन सामग्री, गाय का घी, और अन्य हवन सामग्री हवन कुंड में डालें।
- निम्न मंत्र का उच्चारण करें और हर आहुति के बाद "स्वाहा" कहें:
```
ॐ अग्नये स्वाहा
ॐ सोमाय स्वाहा
ॐ प्रजापतये स्वाहा
```
10. आरती और प्रसाद
- आरती की थाली में कपूर जलाकर भगवान की आरती करें।
- आरती के बाद प्रसाद वितरित करें।
11. समापन
- सभी सामग्री को समेटकर किसी पवित्र स्थान पर रखें।
- शांति और संतोष के साथ पूजा का समापन करें।
महत्वपूर्ण सुझाव
- पूजा के दौरान शुद्धता और श्रद्धा का ध्यान रखें।
- किसी भी मंत्र का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट रूप से करें।
- पूजा के अंत में सभी देवी-देवताओं का आभार व्यक्त करें।
इस प्रकार, शांति पूजा विधि को विधिवत संपन्न करके आप अपने जीवन में शांति और समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं। शांति पूजा से आपके घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और समस्त कष्टों का निवारण होता है।
पूजा सामग्री - शांति पूजा विधि
शांति पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
1. पूजा स्थान की सफाई
2. भगवान की मूर्ति या तस्वीर (विशेषकर गणेश जी, विष्णु जी और शिव जी)
3. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
4. पुष्प (फूल)
5. फल
6. अक्षत (चावल)
7. जल (पानी)
8. धूप
9. दीपक
10. कपूर
11. पवित्र धागा (मौली)
12. नारियल
13. पान के पत्ते
14. सुपारी
15. इलायची, लौंग
16. हवन सामग्री
17. शुद्ध घी
पूजा कथा - शांति पूजा विधि
पूजा आरती - शांति पूजा विधि
शांति पूजा आरती
श्री शांति आरती
जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ओम जय जगदीश हरे॥1॥
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का, सुख सम्पत्ति घर आवे, सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे॥2॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी, तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूँ मैं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे॥3॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अन्तरयामी।
स्वामी तुम अन्तरयामी, पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे॥4॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालन करता।
स्वामी तुम पालन करता, मैं सेवक तुम स्वामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भरता॥
ओम जय जगदीश हरे॥5॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति, किस विधि मिलूँ दयामय, किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ओम जय जगदीश हरे॥6॥
दीना जनो के साथी, तुम हो पालक मेरी।
स्वामी तुम हो पालक मेरी, तुम हो मेरे रक्षक, तुम हो मेरे रक्षक, मैं नित्य शरण तेरी॥
ओम जय जगदीश हरे॥7॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संत जन सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे॥8॥
जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ओम जय जगदीश हरे॥9॥
इस आरती को शांति पूजा के अंत में गाकर, भगवान से शांति, सुख और समृद्धि की कामना की जाती है। आरती के पश्चात भगवान को भोग अर्पित करें और फिर प्रसाद बांटें।