पूजा विधि - कर्वा चौथ पूजा
करवा चौथ पूजा एक हिन्दू त्योहार है जिसे साल में एक बार मनाया जाता है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य पति की लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना करना होता है। यह पूजा उत्तर भारतीय राज्यों में विशेष रूप से मान्यता प्राप्त है, लेकिन अब यह पूरे भारत में मनाई जाती है। यह पूजा व्रत और विधिवत रीति-रिवाजों के साथ मनाई जाती है।
यहां करवा चौथ पूजा की कुछ महत्वपूर्ण विधियां हैं:
1. पूजा सामग्री:
- व्रत शुरू करने से पहले, सभी सामग्री जैसे कि पूजा की थाली, मिठाई, चौथ की करवा, दीया, पान, सुपारी, रोली, चावल, गंगाजल, मोली, इत्यादि को एक स्थान पर इकट्ठा करें।
2. व्रत आरंभ:
- सुबह सोने से पहले उठकर नहाएँ और पूजा के लिए सामग्री की तैयारी करें।
- फिर पूजा स्थल को सजाएँ और माँ पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियों के सामने रखें।
- अपने उपवास का संकल्प लें और व्रत की कथा सुनें।
3. पूजा का विधान:
- पूजा के लिए अपनी थाली पर पूजा सामग्री रखें।
- व्रत करती महिला पति की मूर्ति या फोटो के सामने खड़ी हों और उसे अर्घ्य दें।
- फिर पति के लिए दीपक जलाएं और उसे पूजा करें।
- इसके बाद पति के पैरों को तुलसी के पत्तों से धोएं और अपने पति की ओर दृष्टि दें।
4. करवा चौथ कथा:
- करवा चौथ कथा को सुनें या पढ़ें। इस कथा में महिलाओं की बहुमान संबंधी कहानी होती है जो इस व्रत को मनाने का कारण है।
5. पूजा के बाद:
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- पूजा के बाद उपवासी महिला चांद देखकर उसे देखें और फिर पति की ओर दृष्टि दें।
- फिर पति को दीया दें और उनका आशीर्वाद लें।
- इसके बाद पति द्वारा पत्नी को कुछ खाने को दिया जाता है, जिसे व्रत का तोड़ना कहा जाता है।
करवा चौथ पूजा में यह संकल्प बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह मन, शरीर, और आत्मा की पवित्रता को नवीन एवं उच्च बनाने में मदद करता है। इसके अलावा, व्रत करने वाली महिला को अपने पति के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए भगवान की कृपा का आशीर्वाद मिलता है।
पूजा सामग्री - कर्वा चौथ पूजा
करवा चौथ पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
1. पूजा थाली: एक चौथाई की थाली जिसमें पूजा की सामग्री रखी जा सके।
2. करवा: एक करवा जो ग्लास, लोटा या प्याले की तरह होता है। इसका उपयोग पूजा के दौरान अर्घ्य देने के लिए किया जाता है।
3. दीया: एक दीपक जिसे जलाने के लिए उपयोग किया जाता है।
4. मिठाई: पूजा के बाद पति को देने के लिए कोई मिठाई, जैसे की बर्फी, लड्डू, गुलाबजामुन, आदि।
5. चौथ के व्रत के लिए अन्य सामग्री:
· पान के पत्ते
· सुपारी
· रोली
· अक्षत (चावल के अनाज)
· गंगाजल (पवित्र जल)
· मोली (राखी)
· मेहंदी (हेना)
· काजल (सुर्मा)
· सिंदूर (वर्मिलियन)
· साबुत जीरा
· सूत्र (धागा)
· सौंफ (फेनल)
· गहने (श्रृंगार के लिए)
· फूल (पूजा या श्रृंगार के लिए)
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यह सामग्री व्यक्तिगत आवश्यकताओं और परंपराओं के अनुसार अलग-अलग हो सकती है, इसलिए आपको अपने परिवार की परंपरा और आवश्यकताओं के अनुसार सामग्री को समायोजित करना चाहिए।
पूजा कथा - कर्वा चौथ पूजा
करवा चौथ पूजा कथा हिंदी में इस प्रकार है:
एक समय की बात है, एक गांव में एक सुन्दरी नामक स्त्री रहती थी। वह सुन्दर और समृद्ध पति के साथ बहुत खुश रहती थी। एक दिन उसके गांव में करवा चौथ का व्रत मनाने का समय आया। सभी स्त्रियाँ अपने पतियों के लिए व्रत रखने के लिए तैयार हो रही थीं। सुन्दरी ने भी इस व्रत का निर्णय लिया।
करवा चौथ के दिन सुबह से ही सुन्दरी उठकर नहाने और व्रत की तैयारी करने लगी। वह पूजा सामग्री लेकर पूजा स्थल पर पहुंची। वहां उसने माँ पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियों के सामने एक थाली सजाई और पूजा की सामग्री रखी। उसके बाद उसने चौथ की कथा सुनी और मन्त्रों का जाप किया। वह अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना करती थी।
पूजा के बाद, सुन्दरी ने उपवास करते हुए पति की ओर दृष्टि देकर उन्हें व्रत का आशीर्वाद दिया। व्रत के दौरान सूर्यास्त के समय, सुन्दरी ने चांद देखा और उसे देखकर आदर किया। उसके बाद उसने पति को दीपक दिया और व्रत का तोड़ना किया। उसके पति ने उसे खाने को कुछ दिया और व्रत का अंत किया।
इस प्रकार, सुन्दरी ने करवा चौथ के व्रत को पूरा किया और उसे अपने पति के समृद्धि, सुख और लंबी उम्र की कामना के साथ समाप्त किया। इसके बाद से, सभी महिलाएं इस व्रत को मनाने लगीं और इसे आज भी अपनाकर पति की लंबी उम्र और सुख की कामना करती हैं।
यह कथा करवा चौथ के व्रत की महत्वपूर्णता और आदर्शता को दर्शाती है और महिलाओं के माध्यम से पति के दीर्घायु, सुख और समृद्धि की कामना को प्रकट करती है।
पूजा आरती - कर्वा चौथ पूजा
करवा चौथ की आरती
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।