पूजा विधि - दिवाली पूजा
दिवाली पूजा - प्रकाश के त्योहार के दौरान मनाया जाता है, धन और समृद्धि के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा।
पूजा की तैयारी:
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे दीपक, अगरबत्ती, गंध, सुपारी, हल्दी, कुमकुम, अखंड दिया, रोली, चावल, आता, गुड़, फूल, मिठाई, फल, धूप, कपूर, धान्य आदि को एक साथ इकट्ठा करें।
पूजा के लिए एक पवित्र स्थान, जैसे मंदिर या पूजा कक्ष तैयार करें।
घर की सफाई और सजावट:
घर को साफ-सुथरा करें।
दिवाली की रंगोली या अल्प-कलाकारी से द्वार और घर को सजाएं।
दिवाली के लिए घर को दीपों से सजाएं।
पूजा की तैयारी:
पूजा के लिए एक स्थिर और शुद्ध मन से तैयार हों।
अपने हाथों को धोएं और शुद्ध कपड़े पहनें।
एक दीपक लें और उसे अगरबत्ती से प्रज्वलित करें।
लक्ष्मी-गणेश पूजा:
पूजा की शुरुआत गणेश पूजा से करें। गणेश पूजा के लिए गणेश मंत्रों का जप करें और उन्हें प्रणाम करें।
फिर लक्ष्मी पूजा के लिए लक्ष्मी मंत्रों का जप करें और उन्हें प्रणाम करें।
दीपकों को जलाएं और धूप और कपूर दर्शाएं।
गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाएं, धन्य, सुपारी, फूल और मिठाई चढ़ाएं।
चावल, आता, गुड़ और धान्य को पूजा के लिए सजाएं।
आरती और प्रसाद:
गणेश और लक्ष्मी की आरती गाएं और उन्हें प्रदर्शित करें।
प्रसाद के रूप में मिठाई, फल और नैवेद्य चढ़ाएं।
पूजा के बाद प्रसाद को सभी परिवार के सदस्यों के साथ बांटें।
दीपावली के दीपों की रखवाली:
अपने घर के आस-पास और बाहर दीपों की रखवाली करें।
आप दीपावली के दीपों को खींच सकते हैं, जो अपने घर में आपकी राहत के लिए रोशनी का प्रतीक हैं।
यह थी दिवाली पूजा की विधि। ध्यान दें कि पूजा विधि विभिन्न परंपराओं और क्षेत्रों में भिन्न हो सकती है, इसलिए सर्वोपरि अपनी परिवारिक परंपरा और गुरु के निर्देशों का पालन करें। शुभ दीपावली!
पूजा सामग्री - दिवाली पूजा
दिवाली पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
1. दीपक: गौंध और सरसों के तेल से भरे गए प्याले या मटके में तेल के साथ बत्ती लगाने के लिए दीपक।
2. अगरबत्ती: पूजा के दौरान धूप देने के लिए अगरबत्ती।
3. गंध: चन्दन और केसर के पाउडर की छोटी थूथन या गंध के टिके।
4. सुपारी: सफेद या लाल रंग की सुपारी के दाने।
5. हल्दी: पूजा के लिए हल्दी की छोटी थूथन।
6. कुमकुम: देवी माँ के मंगलकामना के लिए कुमकुम।
7. अखंड दिया: दीपावली पूजा में उपयोग के लिए अखंड दिया जो तेल से भरा होता है।
8. रोली: पूजा के लिए रंगोली बनाने के लिए रंगोली पाउडर या रोली।
9. चावल: पूजा के लिए अक्षत (चावल के दाने)।
10. आता: पूजा के लिए आते की थाली या कटोरी।
11. गुड़: पूजा के लिए गुड़ की छोटी थूथन या बड़ी गुड़ की पानी।
12. फूल: पूजा के लिए फूलों की माला और फूलों की पानी।
13. मिठाई: पूजा के लिए मिठाई, जैसे बर्फी, लड्डू, गुजिया आदि।
14. फल: पूजा के लिए विभिन्न प्रकार के फल।
15. धूप: पूजा के लिए धूप की बत्ती या धूप स्टिक।
16. कपूर: पूजा के लिए कपूर की थूथन।
17. धान्य: पूजा के लिए धान्य या अनाज की थाली।
यह थी दिवाली पूजा के लिए सामग्री की सूची। आप इन सामग्रियों को पूजा स्थल पर इकट्ठा करके आपकी दिवाली पूजा को आसानी से आयोजित कर सकते हैं। ध्यान दें कि स्थानीय परंपराओं और आपकी परिवारिक प्राथमिकताओं के अनुसार, सामग्री में थोड़े बदलाव हो सकते हैं।
पूजा कथा - दिवाली पूजा
एक समय की बात है। बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में एक ब्राह्मण बसते थे। उनका नाम जगदीश था। जगदीश बहुत ही धार्मिक और पूज्यपात्र थे। वे हमेशा ईश्वर के ध्यान में रहते थे और लोगों की मदद करने में भी उनका बहुत ध्यान रखते थे।
एक दिन जब दिवाली का त्योहार आने वाला था, तो लोग अपने घरों की सजावट करने में व्यस्त थे। जगदीश ने भी अपने घर को सजाने का निर्णय लिया। उन्होंने बच्चों को भी साथ लेकर घर को सजाने का फैसला किया।
जगदीश के बच्चे थे राम और रमा। उन्होंने अपने पिताजी से पूछा, "पिताजी, हम दिवाली की पूजा के बारे में और इसकी महत्व के बारे में बताइए।"
जगदीश ने उन्हें कथा कहानी से जवाब दिया। उन्होंने कहा, "बच्चों, बहुत समय पहले की बात है, एक देवी सीता और भगवान राम ने लंका युद्ध में विजय प्राप्त की थी। उन्होंने अपने घर वापस लौटने पर अयोध्या के लोग बहुत खुश थे और उनका स्वागत करने के लिए दीपों की मालाएं लगाईं।"
"इसलिए, दिवाली मनाने का प्रथम त्योहार दीपावली है, जिसे लोग दीपों के समावेश से मनाते हैं। इसे हम भगवान राम की विजय के रूप में मनाते हैं। दीपावली के दिन, लोग अपने घरों को रोशन करने के लिए दीपों को जलाते हैं और घर को सजाते हैं।"
"इसके अलावा, दिवाली का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है माता लक्ष्मी की पूजा करना। माता लक्ष्मी धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी मानी जाती हैं। हम लोग उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उन्हें पूजते हैं।"
"इसलिए, दिवाली के दिन, हम लोग माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। हम उनके आगमन के लिए अपने घरों को सजाते हैं और उन्हें धूप, दीपों, सुगंधित धूप, फूल, फल और मिठाई से पूजते हैं। हम उन्हें धन और समृद्धि की कामना करते हैं और अपने घरों में धन की वृद्धि की कामना करते हैं।"
"इसके साथ ही, दिवाली पर भी भगवान गणेश और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी की जाती है। गणेश जी को सभी कार्यों की सिद्धि के लिए पूजा जाता है और श्रीकृष्ण जी को आनंद, प्रेम और सफलता की प्राप्ति के लिए पूजा जाता है।"
"इस तरह, दिवाली का त्योहार अत्यंत महत्वपूर्ण है और हम इसे धार्मिक भावना के साथ मनाने का प्रयास करते हैं। इस त्योहार के दिन, हम अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर आपसी भाईचारा और प्रेम का महत्व भी मनाते हैं।"
"तो, बच्चों, इस दिवाली पर हमें भगवान का ध्यान रखना चाहिए, पूजा करनी चाहिए और अपने घरों को प्रकाशमय बनाना चाहिए। हमें धन, समृद्धि, सौभाग्य और खुशियाँ का आदान-प्रदान करना चाहिए और अपने आस-पास के लोगों की मदद करना चाहिए।"
इस प्रकार, जगदीश ने अपने बच्चों को दिवाली की पूजा कथा से विशेष महत्व बताया और उन्हें यह सिखाया कि इस त्योहार को धार्मिक भावना के साथ मनाना चाहिए।
पूजा आरती - दिवाली पूजा
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।