पूजा विधि - छठ पूजा
छठ पूजा हिंदी में एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। यह पूजा भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा के लिए की जाती है और धन, स्वास्थ्य, और पुत्र-पौत्रिक सुख की कामना की जाती है। नीचे दी गई है छठ पूजा की एक सामान्य विधि:
1. तिथि और समय: छठ पूजा को शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, जो कार्तिक मास (अक्टूबर-नवंबर) में पड़ती है। पूजा का प्रारंभ दो दिन पहले होता है और छठी को अंतिम दिन मनाया जाता है।
2. व्रत आरंभ: छठ पूजा के प्रारंभ में व्रतारंभ के लिए पूर्व संध्या के समय पर नियमित दूध, फल, और स्वयंग्रहित भोजन का आहान किया जाता है।
3. नाही: प्रारंभिक दिन में छठी माता की पूजा के लिए नाही (स्नान) करना होता है। नाही के लिए नदी, सागर, या किसी साफ जलधारी स्थान का चयन करें।
4. खान-पान: छठ पूजा में व्रत के दौरान व्रत भोजन का सेवन करना होता है। व्रत भोजन में धानिया, गहुं, मूंगफली, अदरक, गुड़, और फलों का सेवन किया जाता है। इसके अलावा खट्टा-मीठा पानी और दूध के बिना पके चावल भी खाए जाते हैं।
5. सूर्योदय पूजा: छठी के दिन सवेरे सूर्योदय के समय पर, सूर्य देवता की पूजा की जाती है। इसके लिए एक छोटा कुआँ बनाया जाता है और उसमें घी और चीनी डालकर दीपक जलाया जाता है।
6. अर्घ्य: सूर्योदय के बाद, छठी माता की पूजा के लिए अर्घ्य दिया जाता है। यह अर्घ्य छठी माता के प्रतीक चूड़ा में जलाकर दिया जाता है।
7. संध्या आरती: सायंकाल को, सूर्यास्त के समय पर, संध्या आरती की जाती है। छठी माता की आरती के दौरान वंदना गाई जाती है और प्रसाद के रूप में गुड़, चावल, और दूध बांटा जाता है।
यहां दी गई विधि छठ पूजा की सामान्य विधि है। हालांकि, यह विधि विभिन्न क्षेत्रों और परिवारों के आधार पर थोड़ी बदल सकती है। इसलिए, छठ पूजा को मनाने से पहले स्थानीय परंपराओं और आदतों का पालन करना अच्छा होगा।
पूजा सामग्री - छठ पूजा
छठ पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
1. धूप और दीप: छठ पूजा में धूप और दीपक अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। धूप के लिए धूपबत्ती या धूपकंद और दीपक के लिए गी या तेल की मोमबत्ती आवश्यक होती है।
2. फूल: पूजा के लिए फूलों का उपयोग किया जाता है। यहां तक कि कुछ स्थानों पर मरिगोल्ड, गेंदा या गुलदस्ता फूल विशेष रूप से प्राथमिकता होती है।
3. रूपा: रूपा, जिसे अंग्रेजी में "Kohl" कहा जाता है, एक अहम आयोजक होता है। यह आंखों की सुरक्षा करता है और आंखों की रोशनी को बढ़ाता है।
4. सिन्दूर: सिन्दूर को विभिन्न पूजा कार्यों में उपयोग किया जाता है। छठ पूजा में भी सिन्दूर का उपयोग किया जाता है।
5. जल: पूजा के दौरान शुद्धता के लिए जल का उपयोग किया जाता है।
6. पूजा थाली: पूजा की सामग्री को समायोजित रखने के लिए पूजा थाली की आवश्यकता होती है। इसमें धूप, दी
प, फूल, सिन्दूर, रूपा और अन्य सामग्री संग्रहित होती है।
इसके अलावा, पूजा के लिए प्रसाद बनाने के लिए चावल, गेहूं, गुड़, नारियल, पानी, दूध, मिठाई, फल और नट्टू की चीजें भी आवश्यक होती हैं।
यह सामग्री छठ पूजा के दौरान उपयोग की जाती है और इसे पूजा के अनुसार समायोजित करना चाहिए। यदि संभव हो, तो स्थानीय पंडित या पूजा विधि के अनुसार अपने गाइडेंस में छठ पूजा सामग्री की जाँच करने का सुझाव दिया जाता है।
पूजा कथा - छठ पूजा
छठ पूजा कथा कहती है, एक समय की बात है, ब्रह्माजी ने धरती पर विप्र ऋषि कश्यप को छठी माता के वरदान की बात कही। इस वरदान के अनुसार, छठी माता जो आदि शक्ति के स्वरूप में प्रकट हुईं, उन्हें पूजा और व्रत करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कश्यप ऋषि और उनकी पत्नी अदिति ने छठी माता की विशेष पूजा की। वे प्रथम छठी माता की व्रत-उपासना करने वाले थे। इस तरीके से छठी माता की कृपा प्राप्त हुई और उनके जीवन में खुशहाली और समृद्धि आई।
एक बार अदिति को छठी माता का स्वप्न आया, जिसमें माता ने उन्हें बताया कि वे छठी माता की पूजा और व्रत करेंगी तो उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी। अदिति और कश्यप ऋषि ने छठी माता की पूजा के लिए तत्पर हो गए।
छठी माता के व्रत में पहले दिन, अदिति और कश्यप ऋषि ने नाही ली और सूर्य के समुद्र में चढ़कर प्रार्थना की। वे सूर्य देव की पूजा करने लगे और अर्घ्य दिया। इसके बाद, वे व्रत में स्वतंत्र भोजन करते हैं, जिसमें गेहूं के आटे के रोटी, चावल, और दूध की मिठाई शामिल होती है।
दूसरे दिन, अदिति और कश्यप ऋषि ने छठी माता की पूजा के लिए स्नान किया और फिर सूर्य की पूजा की। वे सूर्योदय के समय उठे और खाद्यपान के पश्चात व्रत की पूजा करते हैं। वे छठी माता की आरती गाते हैं और अर्घ्य देते हैं।
तीसरे दिन, अदिति और कश्यप ऋषि ने छठी माता की पूजा के लिए सुबह-सुबह उठकर सूर्य की पूजा की और अर्घ्य दिया। उन्होंने स्नान किया और उपासना की।
छठी माता ने खुद अदिति को आशीर्वाद दिया और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हुईं। वे समृद्धि, सुख, और सम्पूर्णता में बहार आ गए।
यहीं पर खत्म होती है छठ पूजा कथा, जो छठी माता के व्रत और पूजा के महत्व का वर्णन करती है। छठ पूजा कथा को सुनकर लोग छठी माता की कृपा प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सुख और समृद्धि को आमंत्रित करते हैं।
पूजा आरती - छठ पूजा
छठ पूजा आरती को निम्नलिखित श्लोकों के साथ गाया जाता है:
जय जय छठी माईया, जय जय छठी माईया।
सूर्य उदय होत है, आज छठी माईया॥
उठू उठू सूरज देव, आदित्य नारायण।
आज पूजा करें हम, छठी माता के चरण॥
छठी माता की आरती, जगजननी जय जगदम्बे।
माता जी की आरती, जय जय जगदम्बे॥
अदिति उपासक भई, आरती लेकर आई।
छठी माता को आदर, करें आज हम सब संगी॥
मांगे सब मनोकामना, माता की आशीष साथ।
छठी माता की आरती, करते हैं हम प्रणाम सबके साथ॥
जय जय छठी माईया, जय जय छठी माईया।
सूर्य उदय होत है, आज छठी माईया॥
आप छठ पूजा आरती को अपनी भाषा में गाने के लिए अनुकूलित कर सकते हैं। यह आरती छठी माता की महिमा और आदर्शों का संक्षेप है और उनके चरणों की पूजा करते हुए भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती है।