संतोषी माता व्रत पूजा

पूजा विधि - संतोषी माता व्रत पूजा

संतोषी माता व्रत पूजा विधि निम्नलिखित रूप से है:

सामग्री:
1. संतोषी माता की मूर्ति या चित्र
2. दीपक और घी
3. दूध, घी, चीनी और दूध से बना प्रसाद
4. पंचामृत (दूध, घी, दही, शहद और तुलसी के पत्ते का मिश्रण)
5. फूल, चादर, धूप, इत्र और पूजा सामग्री

पूजा विधि:
1. पूजा के लिए एक सुगंधित स्थान चुनें और उसे सफाई करें।
2. संतोषी माता की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
3. पूजा स्थल को सुंदरता से सजाएं, उसे फूलों से सजाएं और आसन पर चादर बिछाएं।
4. पूजा के लिए दीपक तैयार करें। एक थाली पर दीपक रखें और उसे घी से भरें। अब दीपक को जलाएं।
5. पूजा के लिए पंचामृत की तैयारी करें। इसके लिए एक कटोरी में दूध, घी, दही, शहद और तुलसी के पत्ते का मिश्रण मिलाएं।
6. पूजा के लिए प्रसाद की तैयारी करें। दूध, घी, चीनी और दूध से बने प्रसाद को संतोषी माता को अर्पित करें।
7. पूजा करने से पहले

मन्त्रों का जाप करें। संतोषी माता के मन्त्रों का जाप करें और उनकी कृपा की प्रार्थना करें।
8. धूप, इत्र और पूजा सामग्री का उपयोग करके पूजा करें।
9. पूजा के बाद प्रसाद को प्रार्थना के बाद ब्रह्मचारी या गृहस्थों को बांटें।
10. व्रत धारण करें और संतोषी माता की कथा सुनें।
11. संतोषी माता के गुणों का ध्यान करें और उनका आदर्श बनाएं।

यह संतोषी माता व्रत पूजा की सामग्री और विधि है। इसे अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ पूरा करें और संतोषी माता का आशीर्वाद प्राप्त करें।


पूजा सामग्री - संतोषी माता व्रत पूजा

संतोषी माता व्रत पूजा के लिए आवश्यक सामग्री (सम्पूर्ण संतोषी माता पूजा सामग्री) निम्नलिखित है:

1. संतोषी माता की मूर्ति या चित्र
2. पूजा के लिए एक थाली या पूजा का चौकी
3. धूप और धूप बत्ती
4. अगरबत्ती
5. दीपक और घी
6. फूल (पुष्प)
7. अक्षत (चावल के धान के बिना चावल)
8. पंचामृत (दूध, घी, दही, शहद और तुलसी के पत्ते का मिश्रण)
9. पूजा के लिए फल (आपकी पसंद के अनुसार)
10. नीविद (स्वीकृति के लिए धन या मुनाफा)
11. पूजा के लिए नगदी (दान के लिए)
12. गंगाजल (शुद्धता के लिए)
13. पूजा के लिए कपड़े (आसन, चादर और वस्त्र)
14. इत्र और सुगंधित धूप (विशेष आराधना के लिए)

यह सामग्री संतोषी माता के व्रत पूजा के लिए आपकी आवश्यकताओं के अनुसार हो सकती है। इसे पूजा के दौरान उपयोग करें और संतोषी माता के प्रति अपनी भक्ति को प्रकट करें।


पूजा कथा - संतोषी माता व्रत पूजा

संतोषी माता व्रत पूजा कथा निम्नलिखित है:

कथा:

एक समय की बात है, एक गांव में एक साधू अपने अनुयायों के साथ वन में वनवास बिता रहे थे। वन में जब वे भूख से पीड़ित हुए, तो उन्होंने एक माता के घर प्रार्थना करने के लिए गए।

वन में उन्हें एक गुफा मिली, जहां एक सुंदर मूर्ति परिणति थी, जिसे संतोषी माता के रूप में पूजा जाता था। साधू और उनके अनुयायों ने मूर्ति की पूजा की और संतोषी माता से अपनी आराम की कामना की।

वन में रहने के दौरान एक बार, एक गरीब औरत आई और उनसे कहा, "माता, मुझे भूख लगी हुई है, कृपया कुछ खाने को दो।" साधू ने उसे संतोषी माता के पास भेज दिया और कहा, "मेरी माता तुम्हें पूरी भूख से संतुष्ट करेंगी।"

उस गरीब औरत ने प्रसाद खाया और वन से चली गई। यह घटना कई बार दोहराई गई। जब अगली बार गरीब औरत आई, वे खाना मांगी, और साधू ने फिर से उसे संतोषी माता के पास भेज दिया। गरीब

औरत ने प्रसाद खाया और खुशी-खुशी चली गई।

धीरे-धीरे, गांव के लोग भी वन में आकर संतोषी माता की पूजा करने लगे। यह व्रत महीनों तक चला और गांव के सभी लोग अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए संतोषी माता की आराधना करने लगे। संतोषी माता ने उनकी प्रार्थनाएं सुनी और सभी लोगों को खुश रखा।

इस प्रकार, वन में संतोषी माता की पूजा से लोग संतुष्ट होते थे और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती थीं। संतोषी माता ने लोगों को धन, स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि से युक्त जीवन दिया।

इस प्रकार संतोषी माता की व्रत पूजा कथा समाप्त होती है। यह कथा संतोषी माता के पूजन और उनकी कृपा को समझाने के लिए सुनाई जाती है। यह व्रत पूजा करके लोग संतुष्टि, आनंद और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं।


पूजा आरती - संतोषी माता व्रत पूजा

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की सुख सम्पत्ति दाता॥

धूप दीप फल मेवा, माता तुम्हारे चरणों में।
पूजा करती है जन, व्रत व्रत धरण करती हैं॥

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की सुख सम्पत्ति दाता॥

शुक्रवार चरण सोहे, सोहे रतिक कुंज बिहारी।
मन वांछित फल पावे, दर्शन को तेरे अद्भुत सावरी॥

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की सुख सम्पत्ति दाता॥

तुम पूजा की थाली धरी, मन में मणि सोहे।
शुभ ग्रह निवासिनी, सुख सम्पत्ति पावे माता रोहे॥

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की सुख सम्पत्ति दाता॥

दीन बंधु दुखहारिणी, तूँ ही शक्ति विधाता।
संतन के दुःख निवारिणी, तूँ ही विश्वकर्मा॥

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक ज

न की सुख सम्पत्ति दाता॥

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की सुख सम्पत्ति दाता॥

आप संतोषी माता की आरती को पूजा के दौरान पढ़ सकते हैं और अपनी भक्ति और श्रद्धा को प्रकट कर सकते हैं।